वो सुए लाला ज़ार फिरते हैं

वो सुए लाला ज़ार फिरते हैं

तेरे दिन ऐ बहार फिरते हैं

जो तेरे दर से यार फिरते हैं

दर बा दर यूं ही ख्वार फिरते हैं

आह कल ऐश तो किया हमनें

आज वह बेकरार फिरते हैं

उनके ईमां से दोनो बाघों पर

खेले लैलौ नहार फिरते हैं

हर चराग़े मजा़र पर क़ुदसी

कैसे परवाना वार फ़िरते हैं

उस गली का गदा हूं मैं जिसमें

माँगते ताजदार फिरते हैं

जान है जान क्या नज़र आये

क्यों अदू ग़िर्दे ग़ार फिरते हैं

फ़ूल क्या देखूँ मेरी आँखों में

दश्ते तैबा के खार फ़िरते हैं

लाखों क़ुदसी हैं कामें ख़िदमत पर

लाखों गिर्दे मज़ार फिरते हैं

वर्दीयां बोलते हैं हरकारे

पहरा देते सवार फिरते हैं

रखिये जैसे हैं खानज़ादे हैं हम

मोल के ऐब दार फिरते हैं

हाय ग़ाफिल वह क्या जगह है जहाँ

पाँच जाते हैं चार फिरते हैं

बायें रस्ते ना जा मुसाफिर सुन

माल है राह मार फिरते हैं

जाग सूनसान वन है रात आई

ग़र्ज बहरे शिकार फिरते हैं

नफ़्स ये कोई चाल है ज़ालिम

जैसे खासे बिजार फ़िरते हैं

कोई क्यों पूछें तेरी बात रज़ा

तुझसे कुत्ते हज़ार फिरते हैं
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