इ़श्क़े मौला में हो ख़ूंबार कनारे दामन

इ़श्क़े मौला में हो ख़ूंबार कनारे दामन

या खुदा जल्द कहीं आए बहारे दामन

बह चली आंख भी अश्कों की त़रह़ दामन पर

कि नहीं तारे नज़र जुज़ दो सेह तारे दामन

अश्क बरसाऊं चले कूचए जाना से नसीम

या खुदा जल्द कहीं निकले बुख़ारे दामन

दिल शुदों का यह हुवा दामने अत़्हर पे हुजूम

बे-दिलआबाद हुवा नामे दियारे दामन

मुश्क सा जुल्फ़े शहो नूर फ़शां रुए हुज़ूर

अल्लाह अल्लाह ह़-लबे जेबो ततारे दामन

तुझ से ऐ गुल मैं सितम दीदए दश्ते ह़िरमां

ख़लिशे दिल की कहूं या ग़मे खारे दामन

अक़्स अफ़्गन है हिलाले लबे शह जेब नहीं

मेहरे आ़रिज़ की शुआ़एं हैं न तारे दामन

अश्क कहते हैं यह शैदाई की आंखें धोकर

ऐ अदब गर्दे नज़र हो न गुबारे दामन

ऐ रज़ा आह वोह बुलबुल की नज़र जिस की

जल्वए जेबे गुल आए न बहारे दामन
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